हरे कृष्ण ।
भारत अर्थात #आर्यवर्त मनुष्य की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है ।
अलग अलग इतिहासकारों ने इससे अलग अलग स्थान बताया है लेकिन #science और वेदों की माने तब यह स्थान कोई ऐसी जगह है जहाँ पानी हो पानी होगा तब बर्फ भी होगी । बर्फ हुई तो पहाड़ भी होंगे।
पहाड़ हुवे तो जंगल भी होंगे । जंगल हुवा तब वह वह जगह है जो खूब हरी भरी है वहां पानी और सभी जीवन होने के तत्व प्रचूर मात्रा में होंगे ।
और पौराणिक भारत बहुत विशाल था ।
#अरावली ही सायद वह जगह है जहाँ आर्य / श्रेष्ठ मनुष्य ने धरती पर पहली बार अवतरण हुवा ।
जब पहली बार गीता सूर्यदेव को भगवान् ने सुनाई थी ।
उस के बाद यह त्रेता युग से पहले ही नष्ट हो गयी होगी ।
अर्थात स्मृतियों से भी । लोग हजारों देवो की पूजा खुद के उद्धार के लिए करने लग गए।
जबकि गीता में सिर्फ एक परमात्मा की आराधना का ही उद्देश्य है ।
द्वापर युग इस धरती का स्वर्णिम युग है जब भगवान् सिर्फ धरती के लिए आये थे नाकि किसी अन्य उद्देश्य के लिए , अर्थात अपने भक्तों और धर्म की पुनः स्थापना के लिए ।
महाभारत के बाद यह कार्य हुवा भी ।
लेकिन भारत पर हमेशा आक्रमण होते रहे जिससे इसकी असली संस्कृति ध्वस्त हुई ।
सातवीं शताब्दी के बाद से इसमें फिर से परिवर्तन आने लगा बाहरी आक्रमण कारियों की वजह से या ये स्वतः ही हुवा है लेकिन सातवीं सदी के बाद और 1500 ईस्वी में जब तुलसिदास जी ने रामचरित की चौपाइयां बनाई और हनुमान चालीसा बनाई और राम र्ती बनाई ।
तब फिर से लोग कृष्ण से विमुख होकर राम राम जपने लगे ।
और गीता पाठ ख़त्म ही करदिया गया ।
गाँव और शहर में सिर्फ 1 दिन का रामायण पाठ करवाया जाता और भगवान् के द्वापर युग के जन्म का फिर से दोहन होने लगा ।
संसार यह जान ले की राम भगवान् का अवतार भगवान् ने मनुष्य रूप लेकर लोंगो को कैसा होना चाहिए ये बताया है ।
और भगवान् को पाना कैसे है वह कृष्ण ने बताया है गीता में हमें भगवान् चाहियें तो हमे गीता पाठ ही करना चाहिए ।
लेकिन भगवान् के एक ऐसे भक्त 1896 1 सितम्बर में हुवे जिन्होंने यह कार्य फिर से किया और आज यह बहुत बड़ा रूप ले चुकी है ।
भगवान को पाना है तो गीता चाहिए ही चाहिए ।
राम के चरित्र को पाना है तब रामायण पाठ चाहिए ।
उद्देश्य क्या है यह आप पर है कि आप को भगवान् चाहिए या भगवान् जैसा चरित्र ।
हरे कृष्ण।
भारत अर्थात #आर्यवर्त मनुष्य की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है ।
अलग अलग इतिहासकारों ने इससे अलग अलग स्थान बताया है लेकिन #science और वेदों की माने तब यह स्थान कोई ऐसी जगह है जहाँ पानी हो पानी होगा तब बर्फ भी होगी । बर्फ हुई तो पहाड़ भी होंगे।
पहाड़ हुवे तो जंगल भी होंगे । जंगल हुवा तब वह वह जगह है जो खूब हरी भरी है वहां पानी और सभी जीवन होने के तत्व प्रचूर मात्रा में होंगे ।
और पौराणिक भारत बहुत विशाल था ।
#अरावली ही सायद वह जगह है जहाँ आर्य / श्रेष्ठ मनुष्य ने धरती पर पहली बार अवतरण हुवा ।
जब पहली बार गीता सूर्यदेव को भगवान् ने सुनाई थी ।
उस के बाद यह त्रेता युग से पहले ही नष्ट हो गयी होगी ।
अर्थात स्मृतियों से भी । लोग हजारों देवो की पूजा खुद के उद्धार के लिए करने लग गए।
जबकि गीता में सिर्फ एक परमात्मा की आराधना का ही उद्देश्य है ।
द्वापर युग इस धरती का स्वर्णिम युग है जब भगवान् सिर्फ धरती के लिए आये थे नाकि किसी अन्य उद्देश्य के लिए , अर्थात अपने भक्तों और धर्म की पुनः स्थापना के लिए ।
महाभारत के बाद यह कार्य हुवा भी ।
लेकिन भारत पर हमेशा आक्रमण होते रहे जिससे इसकी असली संस्कृति ध्वस्त हुई ।
सातवीं शताब्दी के बाद से इसमें फिर से परिवर्तन आने लगा बाहरी आक्रमण कारियों की वजह से या ये स्वतः ही हुवा है लेकिन सातवीं सदी के बाद और 1500 ईस्वी में जब तुलसिदास जी ने रामचरित की चौपाइयां बनाई और हनुमान चालीसा बनाई और राम र्ती बनाई ।
तब फिर से लोग कृष्ण से विमुख होकर राम राम जपने लगे ।
और गीता पाठ ख़त्म ही करदिया गया ।
गाँव और शहर में सिर्फ 1 दिन का रामायण पाठ करवाया जाता और भगवान् के द्वापर युग के जन्म का फिर से दोहन होने लगा ।
संसार यह जान ले की राम भगवान् का अवतार भगवान् ने मनुष्य रूप लेकर लोंगो को कैसा होना चाहिए ये बताया है ।
और भगवान् को पाना कैसे है वह कृष्ण ने बताया है गीता में हमें भगवान् चाहियें तो हमे गीता पाठ ही करना चाहिए ।
लेकिन भगवान् के एक ऐसे भक्त 1896 1 सितम्बर में हुवे जिन्होंने यह कार्य फिर से किया और आज यह बहुत बड़ा रूप ले चुकी है ।
भगवान को पाना है तो गीता चाहिए ही चाहिए ।
राम के चरित्र को पाना है तब रामायण पाठ चाहिए ।
उद्देश्य क्या है यह आप पर है कि आप को भगवान् चाहिए या भगवान् जैसा चरित्र ।
हरे कृष्ण।
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