ग्वालवंशी यादव / अहीर
यदुवंश की दो साखा जो पृथक नही हैं बस नाम पृथक है ग्वालवंशी और नन्द्वंशी |
ग्वालवंश / गोपवंश साखा अति पवित्र साखा है
महाभारत के अनुसार यह यदुवंशी क्षत्रिय राजा गौर के वंसज हैं |
पर यह नन्द और वशुदेव के चचेरे भाईयों की संतान भी माने ज़ाते हैँ जो वृष्णिवंश से थे |
गोप और ग्वाल को पवित्र कहने के पीछे भी एक कारण है
यह गोपियां ऋषियो का रुप हैं जो सत्यूग से नारायण की अराधना कर रहे थे
और ग्वाल देवता थे |
यही से पृथक साखा ग्वालवंश बनी |
यह गोप / या ग्वाल शब्द गौ से है गौ वाला - ग्वाल और गोपाल - गोप
जो आर्य का प्रतीक है और गौ धन इन्ही की देन् है इस भारत को |
जो की अब हिन्दू होने का प्रतीक है |
इन्हे कर्म के आधार पर वैश्य वर्ण में कुछ मूर्खो ने रखा या माना है
जबकी वर्ण व्यास्था जन्म से है
उदाहरण - परशुराम् जी ब्रहमान थे जन्म से कर्म क्षत्रिय का परंतु क्षत्रिय नहीं |
उसी तरह गौ पालन देव पूजा है नकि गौ व्यापार |
अत: उसवक्त व्यापार जैसा सब्द भी नहीं था सब वस्तु विनियम् प्रणाली थी तो अस आधार पर वह वैश्य वर्ण के हवे ही नहीं |
यह मूल से क्षत्रिय हैं |
बाहरी इतिहास कार कहते हैं की ग्वालवंश में गोत्र नहीं
गोत्र ज़रूरत् क्यो है इसकी जानकारी की कोई
व्यक्ति अर्थात एक आदमी अपने सगे सम्बंधित लोगों से विवाह नहीं कर सकता इसके लिए गोत्र बनाये गए |
और ग्वालवंश कभी भी आश पास से नहीं दुर का रिश्ता ही करते हैं |
इनके गोत्र हैं जानकारी पूर्ण नहीं है पर जो है 28 य 30 हैं और मूल गोत्र अत्री है
1.कोकन्दे
2. हिन्नदार
3.सुराह
4.रियार
5.सतोगिवा
6.रराह
7.रौतेले
8.मोरिया
9.निगोते
10.बानियो
11.पड़रिया
12.मसानिया
13.रायठौर
14.फुलसुंगा
15.मोहनियां
16.चंदेल
17.हांस
18.कुमिया
19.सागर
20.गुजैले
21.सफा
22.अहीर
23.कछवाए
24.थम्मार
25.दुबेले
26.पचौरी
27.बमनियाँ
28.गयेली
29.रेकवार
30.गौंगरे
31.लखोनिया
वही #ग्वाले बड़े होकर महाभारत भी लडे |
जिस #नारायणी सेना से धरती कांपती थी |
इनकी अपनी रियासत हैं जो गोप / ग्वाल के पूर्वज की हैं
#गोप_नेपाल_रियासत
#गुप्तसम्राज्य
और
ध्यान देने की बात यह है की जो भी यह राजवंश हैं सबसे मजबूत थे
और उन्होंने खुद के य जगह के नाम से नए गोत्र बना लिए और सिर्फ य़दुवंशी कहलाये |
ग्वालवंशीयों शाखा की उपाधियां हैं
#सरदार #ज़मीदार #ठाकुर #गुप्त
#यदुवंशी #यादव
मूल निवासी गोकुल के और वहाँ से ही migrate होकर
कानपुर से बिहार हैं अब
यह बहुत मिलनसार व्यक्तित्व वाले होते हैं और अपने से पहले दुसरो के सुख के लिये लड़ मरने का जज्बा होता है |
खुद के फायदे की लिये नहीं परंतु किसी मित्र के लिये मरने मारने पर आ जाते हैं अगर बात मान पर आ जाये |
यह #वैष्णव होते हैं अर्थात इनके मनमांदिर में परदादा श्री कृष्ण ही बसे हैं जो की भगवानो के भगवान हैं |
इंडो-आर्य कौन है ?
पूरा यदुवंश ही आर्य है ज़िसमे सारी साखा आ जाती हैं
अर्थात ग्वालवंश और नन्दवंश भी |
इनका रणघोष था
जय ग्वाल जय गोपाल
सम्पूर्ण यदुवंश अब सिर्फ
जय यादव जय माधव
कहता है जो अनेकता को एकता प्रदान करती है |
Bndr बंदर के हाथ उस्तरा लग गया भाई यादव वंस ,भाटी ,शौरसैनी,छोकर ,जडेजा ,सरवैया,जाधव ,चूडास्मा ,समा यादव ,,नासिक,मैसूर ,हम्पी के यादव और मूल यादव होने के कारन अन्य राजपूत वन्सो में इनके रोटी बेटी का संबंध हे हालाँकि अहीर ,नंदवंसी ,gopvnsi accidental यादव हे जिनकी वजह से इनके रिश्ते अन्य राजपूत जातियों में नहीं होते !और जिन यादवो की तुम बात करते हो जिनका इतिहास btate हो वो अलग हे !
ReplyDeleteमेरे पास आप बताओ बंदर कौन है बंदर तू है जो बोलने वाला ज्यादा बात करना है तो राहुल ग्वालवंशी फेसबुक आईडी है मैं बताऊं तू अभी बच्चा है
DeleteRajput ya Randput kutte teri behn ki chut teri ma ka bhosda rajputo ki land aukat hai hamare yaha.
Deleteमुगलों को अपनी बेटियां बेचने वाले अब यादव बनने निकल दिए । एक को तो मैंने पढ़ा वो तो मुगलों को भी राजपूत बता रहा था 😀😀😀😀
Deleteजनवरी 1562, अकबर ने राजा भारमल की बेटी से शादी की. (कछवाहा-अंबेर)
15 नवंबर 1570, राय कल्याण सिंह ने अपनी भतीजी का विवाह अकबर से किया (राठौर-बीकानेर)
1570, मालदेव ने अपनी पुत्री रुक्मावती का अकबर से विवाह किया. (राठौर-जोधपुर)
1573, नगरकोट के राजा जयचंद की पुत्री से अकबर का विवाह (नगरकोट)
मार्च 1577, डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर)
1581, केशवदास ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर से किया (राठौर-मोरता)
16 फरवरी, 1584, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का भगवंत दास की बेटी से विवाह (कछवाहा-आंबेर)
1587, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से विवाह (राठौर-जोधपुर)
2 अक्टूबर 1595, रायमल की बेटी से दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर)
28 मई 1608, जहांगीर ने राजा जगत सिंह की बेटी से विवाह किया (कछवाहा-आंबेर)
1 फरवरी, 1609, जहांगीर ने राम चंद्र बुंदेला की बेटी से विवाह किया (बुंदेला, ओर्छा)
अप्रैल 1624, राजकुमार परवेज का विवाह राजा गज सिंह की बहन से (राठौर-जोधपुर)
1654, राजकुमार सुलेमान शिकोह से राजा अमर सिंह की बेटी का विवाह(राठौर-नागौर)
17 नवंबर 1661, मोहम्मद मुअज्जम का विवाह किशनगढ़ के राजा रूप सिंह राठौर की बेटी से(राठौर-किशनगढ़)
5 जुलाई 1678, औरंगजेब के पुत्र मोहम्मद आजाम का विवाह कीरत सिंह की बेटी से हुआ. कीरत सिंह मशहूर राजा जय सिंह के पुत्र थे. (कछवाहा-आंबेर)
30 जुलाई 1681, औरंगजेब के पुत्र काम बख्श की शादी अमरचंद की बेटी से हुए(शेखावत-मनोहरपुर)
Ahirwaal Haryana aur Rajasthan ke area ko kaha jaata h... Aur rewari jo ki balram ji ki patni rewati ke naam se h waha rehne waale hum yadav yaduvanshi ahir kehte h khud ko... Aur rao tula ram bhi raja tha.. Hum wo nakli yadav yaduvanshi nahi jo rajput bankr khud ko aadha muslim batane me bhi gurej nahi krte... Sharam kro... History tumne itni ghatiya kr di yadavo ki..
DeleteYaduvanshi abhir yaani ahir nidar kaha jaata h... Ved pd le ya baaki puran kyo na ho... Pr tum jaise log kbhi khud ki badayi maarne me bhul jaate ho ko tumne bejati krwayi h bas yadavo ki ye apni beti mughlo se lekr kissi bhi nalle jaise nkli rajputo ko... Sharm kro...
यादव वंस के बारे में सही और पूरी जानकारी प्राप्त करनी हो तो यादवो के सर्वोच्च शाखा के भाटी राजघराने जैसलमेर के पास उनके पुरोहितो द्वारा सारा इतिहास संरक्षत हे !जितने भी यादव राजवंश और रजवाड़े रहे हे पूरी जानकारी
ReplyDeleteसालो हरामजादो हवनकुण्ड से निकले व्राह्मण व्रांड प्रोडक्ट तुम साले यादवो के पैरो के मैल बराबर भी नही हो।
DeleteDe na to kisi FB post me daal un sab ki pic jo bhi evidence hai fir us page ke bare me hame bata
Deleteभाटी भाट से उत्पन्न हुए हैं।
Deleteमुगलों को अपनी बेटियां बेचने वाले अब यादव बनने निकल दिए । एक को तो मैंने पढ़ा वो तो मुगलों को भी राजपूत बता रहा था 😀😀😀😀
जनवरी 1562, अकबर ने राजा भारमल की बेटी से शादी की. (कछवाहा-अंबेर)
15 नवंबर 1570, राय कल्याण सिंह ने अपनी भतीजी का विवाह अकबर से किया (राठौर-बीकानेर)
1570, मालदेव ने अपनी पुत्री रुक्मावती का अकबर से विवाह किया. (राठौर-जोधपुर)
1573, नगरकोट के राजा जयचंद की पुत्री से अकबर का विवाह (नगरकोट)
मार्च 1577, डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर)
1581, केशवदास ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर से किया (राठौर-मोरता)
16 फरवरी, 1584, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का भगवंत दास की बेटी से विवाह (कछवाहा-आंबेर)
1587, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से विवाह (राठौर-जोधपुर)
2 अक्टूबर 1595, रायमल की बेटी से दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर)
28 मई 1608, जहांगीर ने राजा जगत सिंह की बेटी से विवाह किया (कछवाहा-आंबेर)
1 फरवरी, 1609, जहांगीर ने राम चंद्र बुंदेला की बेटी से विवाह किया (बुंदेला, ओर्छा)
अप्रैल 1624, राजकुमार परवेज का विवाह राजा गज सिंह की बहन से (राठौर-जोधपुर)
1654, राजकुमार सुलेमान शिकोह से राजा अमर सिंह की बेटी का विवाह(राठौर-नागौर)
17 नवंबर 1661, मोहम्मद मुअज्जम का विवाह किशनगढ़ के राजा रूप सिंह राठौर की बेटी से(राठौर-किशनगढ़)
5 जुलाई 1678, औरंगजेब के पुत्र मोहम्मद आजाम का विवाह कीरत सिंह की बेटी से हुआ. कीरत सिंह मशहूर राजा जय सिंह के पुत्र थे. (कछवाहा-आंबेर)
30 जुलाई 1681, औरंगजेब के पुत्र काम बख्श की शादी अमरचंद की बेटी से हुए(शेखावत-मनोहरपुर)
Ahirwaal Haryana aur Rajasthan ke area ko kaha jaata h... Aur rewari jo ki balram ji ki patni rewati ke naam se h waha rehne waale hum yadav yaduvanshi ahir kehte h khud ko... Aur rao tula ram bhi raja tha.. Hum wo nakli yadav yaduvanshi nahi jo rajput bankr khud ko aadha muslim batane me bhi gurej nahi krte... Sharam kro... History tumne itni ghatiya kr di yadavo ki..
DeleteYaduvanshi abhir yaani ahir nidar kaha jaata h... Ved pd le ya baaki puran kyo na ho... Pr tum jaise log kbhi khud ki badayi maarne me bhul jaate ho ko tumne bejati krwayi h bas yadavo ki ye apni beti mughlo se lekr kissi bhi nalle jaise nkli rajputo ko... Sharm kro...
Bhai yaar agar aap kisi ko dhabhar gotra ke yadavo ke bare me pata ho toh kripya krke bata dena jai dada कृष्ण
Deleteइसमें तुमने जो गोत्र डाले हे वो राजपूत गोत्र हे ज्यादातर
ReplyDeleteSays tum ko pata nahi ke rajput kab aya the.... 😝😝😝Salo tu Rajput ki to ma Ben ak kardu...
DeleteMultha yaduvanshi Rajput hai baati, Jadej, aur bhi hai gwale/ahir shudr hai,shudr ko kabse gotr ke parichay huva bolo gwale,tum Yadav kahane ki layak nahi hoo, yaduvanshi Rajput hee Sri Krishn ke vamshaj hai Uske pass sabut bhi hai.tumhare pass kya hai gwale/ahir bolo.tum San Juta Yadav hai. Asali yaduvanshi Rajput hai. Pata nahi to yaduvanshi Rajput ke itihaas pado,
DeleteSri Krishna ko asurone Sri Krishn ke upar rahane Gosse se Sri Krishn ko gwale kahate the. Sri Krishn ko ahir ne paalan kiya hai. Krishn ko kis grantha ahir Bola hai bolo gwale. Sri Krishn Ahir nahi hai. Yadav hai.
DeleteJai shree krishn are bhai anpad insaan tu mango ko aam ko alag alag naam ki jaati q bol raha hai lagta hai ghush dekar padhai kiya hai tujhe kuch nahi pata yadav Ahir do jaat nahi sab ek hi jaati hai samja baki tujhe hum yadav ke upar jalne ki kasam khai hai to baat alag hai tu aishe hi jalte rahega qki shree krishn bhgwan bole the ek din kalyug me bhi yaduvanshi raaj ayega aankh khol kar dekho yadav kaha kaha nahi pahuche hai sab jagah yadav ka bol bala hai criket ,rajnity jai samaj wadi ,up Bihar bolybod me bhi sab yadav hi apna jalwa dikha rahe hai , doctors , engineering ,army fuj ,sab jagah yadav ka raaj hai ishi liye kuch angrej ki ulaad logo ko jalan hoti hai yaduvans se badi aur koi sudh jaati nahi jara socho jis jaati me , bhgwan shree krishn ,balraam ,karn ,aur pacho pandaw ,aur durga mata ne janam liya wah jaati sab se panite hai yadav kul me 70 prsent dewta ne janamliya hai bhgwat geeta ,vedh me bhi likha hai aur jaanna hai to yadav sammaan video dekh ,aur jannahai to om yadav bhaiya ka video dekh hum yaduvanshiyo me Ahir, yadav alag alag bata ke hamari ekta ko tu nahi alag kar sakta samjha chpadganju, jai shree krishn Jay chandravanshi chattriy Jay samajwadi party ,jai ahir regiment ,Jay yadav Jay madav
DeleteWell said
Deleteमुगलों को अपनी बेटियां बेचने वाले अब यादव बनने निकल दिए । एक को तो मैंने पढ़ा वो तो मुगलों को भी राजपूत बता रहा था 😀😀😀😀
Deleteजनवरी 1562, अकबर ने राजा भारमल की बेटी से शादी की. (कछवाहा-अंबेर)
15 नवंबर 1570, राय कल्याण सिंह ने अपनी भतीजी का विवाह अकबर से किया (राठौर-बीकानेर)
1570, मालदेव ने अपनी पुत्री रुक्मावती का अकबर से विवाह किया. (राठौर-जोधपुर)
1573, नगरकोट के राजा जयचंद की पुत्री से अकबर का विवाह (नगरकोट)
मार्च 1577, डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर)
1581, केशवदास ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर से किया (राठौर-मोरता)
16 फरवरी, 1584, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का भगवंत दास की बेटी से विवाह (कछवाहा-आंबेर)
1587, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से विवाह (राठौर-जोधपुर)
2 अक्टूबर 1595, रायमल की बेटी से दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर)
28 मई 1608, जहांगीर ने राजा जगत सिंह की बेटी से विवाह किया (कछवाहा-आंबेर)
1 फरवरी, 1609, जहांगीर ने राम चंद्र बुंदेला की बेटी से विवाह किया (बुंदेला, ओर्छा)
अप्रैल 1624, राजकुमार परवेज का विवाह राजा गज सिंह की बहन से (राठौर-जोधपुर)
1654, राजकुमार सुलेमान शिकोह से राजा अमर सिंह की बेटी का विवाह(राठौर-नागौर)
17 नवंबर 1661, मोहम्मद मुअज्जम का विवाह किशनगढ़ के राजा रूप सिंह राठौर की बेटी से(राठौर-किशनगढ़)
5 जुलाई 1678, औरंगजेब के पुत्र मोहम्मद आजाम का विवाह कीरत सिंह की बेटी से हुआ. कीरत सिंह मशहूर राजा जय सिंह के पुत्र थे. (कछवाहा-आंबेर)
30 जुलाई 1681, औरंगजेब के पुत्र काम बख्श की शादी अमरचंद की बेटी से हुए(शेखावत-मनोहरपुर)
Ahirwaal Haryana aur Rajasthan ke area ko kaha jaata h... Aur rewari jo ki balram ji ki patni rewati ke naam se h waha rehne waale hum yadav yaduvanshi ahir kehte h khud ko... Aur rao tula ram bhi raja tha.. Hum wo nakli yadav yaduvanshi nahi jo rajput bankr khud ko aadha muslim batane me bhi gurej nahi krte... Sharam kro... History tumne itni ghatiya kr di yadavo ki..
DeleteYaduvanshi abhir yaani ahir nidar kaha jaata h... Ved pd le ya baaki puran kyo na ho... Pr tum jaise log kbhi khud ki badayi maarne me bhul jaate ho ko tumne bejati krwayi h bas yadavo ki ye apni beti mughlo se lekr kissi bhi nalle jaise nkli rajputo ko... Sharm kro...
रामचंद्र अहीर शुद्र ने अपनी बेटी झट्यापाली का विवाह अलाउद्दीन से करवाया 🤣
Deleteयह सब कुछ सही है लिखा है ग्वाला समाज की जानकारी है
ReplyDeleteSahi nahi h...Mahabharat me Basudev Gop likha h. Isiliye wo Gwal vansh se alag h
DeleteThank You
DeleteAhirwaal Haryana aur Rajasthan ke area ko kaha jaata h... Aur rewari jo ki balram ji ki patni rewati ke naam se h waha rehne waale hum yadav yaduvanshi ahir kehte h khud ko... Aur rao tula ram bhi raja tha.. Hum wo nakli yadav yaduvanshi nahi jo rajput bankr khud ko aadha muslim batane me bhi gurej nahi krte... Sharam kro... History tumne itni ghatiya kr di yadavo ki..
DeleteYaduvanshi abhir yaani ahir nidar kaha jaata h... Ved pd le ya baaki puran kyo na ho... Pr tum jaise log kbhi khud ki badayi maarne me bhul jaate ho ko tumne bejati krwayi h bas yadavo ki ye apni beti mughlo se lekr kissi bhi nalle jaise nkli rajputo ko... Sharm kro...
Doodh dahi wale bakri palne wale 🤣🤣, Aaj samvidhaan hai to aaj tum rajputon ki hod kr rhe ho ,asli yaduvanshi rajput Kshatriye hai ,tum shudra abhir ho be chutiye
Deleteपहले तो बता राजपूत गोत्र कितनी होती फिर ग्वालवंशी की गोत्र बताना
ReplyDeleteYaduvanshi se bada koi nahi hai jai shree krishn Jay yaduvanshi Jay chandravanshi chattriy Jay samajwadi party
Deleteमसानिया किस जाति मे आता सैनी या आदिवासी
DeleteAhirwaal Haryana aur Rajasthan ke area ko kaha jaata h... Aur rewari jo ki balram ji ki patni rewati ke naam se h waha rehne waale hum yadav yaduvanshi ahir kehte h khud ko... Aur rao tula ram bhi raja tha.. Hum wo nakli yadav yaduvanshi nahi jo rajput bankr khud ko aadha muslim batane me bhi gurej nahi krte... Sharam kro... History tumne itni ghatiya kr di yadavo ki..
DeleteYaduvanshi abhir yaani ahir nidar kaha jaata h... Ved pd le ya baaki puran kyo na ho... Pr tum jaise log kbhi khud ki badayi maarne me bhul jaate ho ko tumne bejati krwayi h bas yadavo ki ye apni beti mughlo se lekr kissi bhi nalle jaise nkli rajputo ko... Sharm kro...
सही गोत्र है ग्वालवंशी की
ReplyDeleteHum yaduvanshi to riyal chandravanshi chattriy hai jisne hariyana ki jamin hilada di thi oo the yaduvanshi Jay chandravanshi chattriy Jay samajwadi party Jay ahir regiment Jay shree krishn Jay yaduvanshi
DeleteAhirwaal Haryana aur Rajasthan ke area ko kaha jaata h... Aur rewari jo ki balram ji ki patni rewati ke naam se h waha rehne waale hum yadav yaduvanshi ahir kehte h khud ko... Aur rao tula ram bhi raja tha.. Hum wo nakli yadav yaduvanshi nahi jo rajput bankr khud ko aadha muslim batane me bhi gurej nahi krte... Sharam kro... History tumne itni ghatiya kr di yadavo ki..
DeleteYaduvanshi abhir yaani ahir nidar kaha jaata h... Ved pd le ya baaki puran kyo na ho... Pr tum jaise log kbhi khud ki badayi maarne me bhul jaate ho ko tumne bejati krwayi h bas yadavo ki ye apni beti mughlo se lekr kissi bhi nalle jaise nkli rajputo ko... Sharm kro...
Gop toh pure Yaduvansi ko kaha jata tha...isiliye Gop vansi nahi bolo.
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DeleteAhirwaal Haryana aur Rajasthan ke area ko kaha jaata h... Aur rewari jo ki balram ji ki patni rewati ke naam se h waha rehne waale hum yadav yaduvanshi ahir kehte h khud ko... Aur rao tula ram bhi raja tha.. Hum wo nakli yadav yaduvanshi nahi jo rajput bankr khud ko aadha muslim batane me bhi gurej nahi krte... Sharam kro... History tumne itni ghatiya kr di yadavo ki..
DeleteYaduvanshi abhir yaani ahir nidar kaha jaata h... Ved pd le ya baaki puran kyo na ho... Pr tum jaise log kbhi khud ki badayi maarne me bhul jaate ho ko tumne bejati krwayi h bas yadavo ki ye apni beti mughlo se lekr kissi bhi nalle jaise nkli rajputo ko... Sharm kro...
Mahabharat (Harivansh)Puran me Basudev Gop likha hua h...kya inko Gwalvansi bol doge.
ReplyDeleteपहले तू बता तू है कौन है
DeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteपहले तू बता यादव की उत्पत्ति कैसे हुई
ReplyDeleteयादव में कितनी शाखा होती है बोल
ReplyDeleteजय ग्वाल जय गोपाल
ReplyDeleteसत्य जानकारी भगवान श्री कृष्ण चंद्रवंशी ग्वाल ग्वाला वैदिक क्षत्रिय ग्वाल समाज के ही गोत्र उल्लेखित है लेख मे ।।
बिल्कुल सही कहा आपने , 💯🙏🙏
DeleteOhh chutiye tum gaderio ho gwal yaduvanshi ki sakha hai gwal istemal karna band kardo
Deleteक्षत्रियों का प्रधान वंश यादव वंश है...यादव-कुल की एक अति-पवित्र शाखा ग्वालवंश है जिसका प्रतिनिधित्व नन्द बाबा करते थे .. बहुत से अज्ञानी दोनों को अलग -अलग वंश का बताते हैं....मूर्खों को ये मालूम नहीं की नन्द बाबा और कृष्ण के पिता वासुदेव रिश्ते में भाई थे जिसे हरिवंश पुराण में पूर्णतः स्पष्ट किया गया है....भागवत पुराण में भी इस बात का जिक्र है.....ग्वालवंश में ही समस्त यादवों की कुल-देवी माँ विंध्यवासिनी देवी ने जन्म लिया था..भागवत पुराण के अनुसार तो भगवान् श्रीकृष्ण के गोकुल प्रवास के दौरान सभी देवी-देवताओं ने ग्वालों के रूप में अंशावतार लिया था...इसीलिए ग्वालवंश को अति-पवित्र माना जाता है.
ReplyDeleteजय ग्वाल जय गोपाल
सत्य बात है भाई
Deleteजय ग्वाल जय गोपाल
जय ग्वाल जय गोपाल 🙏🙏
DeleteJay shree krishn Jay yaduvanshi Jay chandravanshi chattriy Jay samajwadi party sahi jawab diya ek dam sahi jawaab hai 💯 prsent sahi lekin yadav se jalne walo ko jalne do hamara kuch nahi hoga ushe shree krishn bhgwan ,sudama ki tarah saja denge ,jai shree krishna bhagwan Jay chandravanshi chattriy Jay yaduvanshi
DeleteSahi kaha a hamare hi gotra jai shri krishna jai gowal gadariya
ReplyDeleteJai GWAL jai gopal
DeleteGadariya hi gwal hote h gadariyao k gotra,ahir kachabaha riyar hinwar rarha tomar nigote rathor masaniya moriya has baniya babaniya padariya chadel koknde kumiya rotela gujela spa or bhi h lekin samay nahi h
ReplyDeleteBhai GOP aur gwal ek hi matlab hota h purano me Gwalvansh ko yadavo me sabse pavitra mana gaya h pahle purano ko padho bhai
ReplyDeleteSabhi gwal upadi wale gwalvanshi nahi hota unka gotra rishio pe bhi hota he ...jati ahir upadhi gwal gotra kashyap (vasudev) atri jisse sabit hota he krishnavanshi he wo vrisni he wo ..maharj vasudev ji ka pehla jaman me rishi kashyap he isliye yadav gwalo ka gotra kashyap bhi he krishnavanshi he sabhi ...ab jiski jalti he to jale ..gop gwal पर्यावाची he ..jo ise nahi matna to anpard he murkh he
Deletekrishnaut gotra kis wans ke hai? mera matlav nand ,gwal or
ReplyDeleteJat Vamsha
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Deletekoi kishnaut ka purn parichai do.
ReplyDeleteRaut Yadav Jat hai
ReplyDeleteरावत या राउत टाइटल ढंढोर गोत्र के यादवों का है।
DeleteBhai me raut hu lekin mera gotra guruvetal hai
DeleteBraj k Jat hi gwal hain no migrated karne Kashi aur mithila gye
ReplyDeleteKashi m Business man and rulers in Bettia
Jaithariya Bhumiharon ko Gwal Jaton s jodte hai
Kashyap n Kadru we Naga ki utpati hui
Raut Madhepura k aas paas zamindar rhen
Nanda Samrajya
Pala Vamsha is sansthapaka Gopal tha
Gokula jat
Raut Yadav hi Bandawat/Harihoban Rajpoot m badal gye
Anya Rajpoot bhi Khatri,Bhoomihar,Ahiron s utpan hue
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Deleteसत्य वचन ये जाट शक नस्ल है विदेशी हमलावर हरामजादे
DeleteFake Yadav Shudra hai
ReplyDeleteShudra ka matlab oata hai tujhe shudra ka matlab hota hai ghulam aur yadav kisiki ghulami nhi karte hain..bawaria...heerni lodhi ye rajputo ki jaatiya thi jo pashu maveshi churane ka kaam karti thi..inhe angrezo ne criminal tribes ki list main daal diya tha..aaj bhi bawariya giroh mashhoor hai jisse chadhi banyan gang bhi kaha jata hai..
Deleteयादव क्षत्रिय हैं। यादव सबसे प्राचीन वंशावली के आर्य हैं। जो अपने रक्त की गुणवत्ता से पहचाने जाते हैं।
ReplyDeleteभाटी, जडेजा,सैनी, जादौन , चुडासमा ये सब न ही हिन्दु हैं और न ही यदुवंशी हैं। ये मुस्लिमों से कनवर्टेड हिन्दु हैं जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान के क्षेत्रों में कबीला बनाकर बकरियां और भेंड चराते थें। वहीं जिन कबीले वालों को ग्रुप लीडर का सम्मान मिलता था। उसे तवक्कुर उपाधि दी जाती थी। जो बदलते बदलते ठाकुर शब्द बन गया।
जब मुस्लिमों ने इनके पूर्वजों को पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भगाया तो यादवों ने तो इनको शरण दी इनकी रक्षा की और इनको बसाया। जूनागढ़ में यदुवंशी देवायत बोदर की मूर्ति लगी है। जिनसे बड़ा उदाहरण और त्याग शायद ही कोई कर पाए। लेकिन ये अपने आप को यदुवंशी बोलकर मौका पाते ही । राजपुत में विलीन हो गए। जबकि न ही राजपुतों का और न ही इनके उत्तपत्ति का पता और न ही कोई गौरव शाली इतिहास है। और तो औऱ इन लोगों को अपनी जाति सिध्द करने के लिए कोर्ट तक जाना पड़ा। औऱ तो और पता नही कौन से कंपनी का छाता खरीद कर ये लोग बोलते हैं कि श्रीकृष्ण का छत्र है। अब यह बताइये भगवान श्रीकृष्ण का अस्तित्व ईसा से 5000 वर्ष पुराना माना जाता है यानि आज से 7000 वर्ष पहले। तो क्या इतने वर्ष में कोई छत्र सुरक्षित रह सकता है। वैज्ञानिक पौराणिक काल की खुदाई कर कर के पता लगा रहे है। और ये लोग अक्षय छाता दिखा रहे हैं। क्या यह सम्भव है कि उस समय से आज तक कोई छाता सुरक्षित रह पाएगा।
यादव वंश गर्व से कहता है कि हम यादव हैं, न कि राजपुत । और भगवान श्रीकृष्ण ने सदैव अपने को यादव ही कहा। जो वेद पुराण और ऐतिहासिक साक्ष्यों से भरे पड़े हैं।
मध्य काल के इतिहास लेखक फिरिश्ता ने तो यहाँ तक लिखा कि जब मुगलो का मन अपनी रानियों से भर जाता था। तब मुगल अपनी हरम में रखी हुई राजपुत कन्याओं के रूप में दासियों से शारीरिक सम्बन्ध बनाते थे। और दासियों से होने वाले बच्चे ही राजपुत कहलाये।
अब बताइये । इतिहासकार बगैर प्रमाणिकता के थोड़े ही लिख सकते हैं।
तो क्या गौरिया या गवालवंशी यादव असली यादव है ?
DeleteBilkul sahi..jadoun jadeja bhati ye sab sindh afghanistan se aaye hain..inke yahan bakre ki bali di jati hai..ye meat khate hain..ahir sirc oashupalak nhi hote hain woh kisan bhi hote hain...mas bhavani ka avtaar maa yogmaya nand ki beti thi...bhati rajput gujar aur jaat bhi hote hain...jadoun banjaro se nikali hue rajput hain...ye afghanistan se bhagaye hue kabile hain jinhone yahan aakar apneaap ko sthapit kiya...aur havan karvakar kshatriya ban gaye...
ReplyDelete👍👍
DeleteVery nice research..proud to b yaduvanshi. Jai yadav, jai madhav.
ReplyDeleteब्रह्मवैवर्त पुराण के गणपति खंड में गुर्जर जाति का श्री परशुराम भगवान से युद्ध
ReplyDeletePurano mai sirf do Kshatriya jatiyo ka name hai
ReplyDeleteGurjar (Gurutar)
Yadav(Ahir)
Gurjar ke rajaye ko Gurjaratra
Ahiro ke rajaye ko Ahiratara
Sri Krishna father vasudev is Kshatriy. Vasudev s friend nand is vaishnav. Vaishnav and Kshatriya kise Bhai hote hai. Only one puran tells nand and vasudev are brothers
ReplyDeleteOther purans only included vasudev and nand friends. Gwalas notyadavas. Yadavas is included only Kshatriya Varna in vedic culture. Gwala vamshi and nandvanshi not Kshatriyas only vaishnavas. Yaduvanshi is Kshatriyas. Yadu vamsh me hi Sri Krishna ke janm huva tha . Sri Krishna ke palan vaishnav Nanda gwale ne kiya tha. Nand aur vasudev ko koi Sambhad nahi hai. Vasudev and nand is only friends. Gwale yaduvanshi kise ho sakte hai. Nand kitne yudh lade hai? Boliye. Krishna tho bahut yudh lade hai. Pundrak ke saath.apne mana Kans ke saath,our narakasur,rukmi ke saath. Yudh lade hai nand kitne yudh lade hai. Boliye nand vaishnav hai vasudev Kshatriy hai. Nand our vasudev only friends.
Bhai "narayani shena" gwalo ki thi..
DeleteJo kaoravo ke side se mahabharat me ladhe.
Or suno kansa to shree krishna ke mama tha..
Kansa ka baap यादव राजा उग्रसेन और maa रानी पद्मावती the.
Jo yadav hi the.
Kansa bhi yadav hi tha..
.
Or ye tumare Jadeja, jadon,bhati,chamsu .. inse pucchna ye kaha se aaye..
Ye sab 4 ahir bhaiyo se utpan hue hai.
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ReplyDeleteYes nasik mei 250 ad se abhira dynasty ka rule rha hai .khandesh ka gazatere bata rha .
ReplyDeletehttps://cultural.maharashtra.gov.in/english/gazetteer/Nasik/005%20History/001%20AncientPeriod.htm
Sher kbhi chillakr nhi kehta sb jante h Bo Sher h ,,,,Abe chutiyo hm yaduvanshi chandravanshi ,gwalvanshi ,nandvanshi ,Yadav Ahir , Kshatriya h Puri duniya janti h. Omg film dekho Modi ke lalu yadav pr bhasan suno Google pr search kro ,,Ahir ,,, pta chl je ,hm Ko h chutiyo ki bhi koi kmi nhi h,,,🤣🤣🤣🤣jao lla or pdo Abe ,,,
ReplyDeleteतुम सब भोसड़े के चुटिया आपस में लड़ो कौन असली कौन नकली में हम सब यादव हैं और एक हैं।ये कुछ पंडितो द्वारा यादवों में डाला गया फूट हैं ताकि सारे यादव एक जुट ना रह सके तो ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें करना पागलपन हैं।
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ReplyDeleteयहाँ जितने भी गौत्र लिखे है ये सभी गौत्र गडरिया जाति के है भाइयों हमारे गौत्रों को इस पोस्ट में क्यों लिखा गया है ?
ReplyDeleteSurya Kumar Yadav Biography in Hindi
ReplyDeleteयादव और अहीर अलग-अलग कुल हैं
ReplyDeleteयादव-प्राण-कार्ये च शक्राद अभीर-रक्शिणे।
गुरु-मातृ-द्विजानां च पुत्र- दात्रे नमो नमः।।
(Garga Samhita 6:10:16)
Translation: जिन्होंने यादवों की रक्षा की, जिन्होंने राजा इंद्र से अहीरों की भी रक्षा की और अपनी माता, गुरु और ब्राह्मण को उनके खोए हुए बेटों को वापस दिलाया, मैं आपको आदरणीय प्रणाम करता हूँ।
अन्ध्रा हूनाः किराताश् च पुलिन्दाः पुक्कशास् तथा
अभीरा यवनाः कङ्काः खशाद्याः पाप-योणयः
(Sanatakumara Sahmita - Sloka 39)
Translation : अंध्र, हुण, किरात, पुलिंद, पुक्कश, अहीर, यवन, कंक, खस और सभी अन्य पापयोनि से उत्पन्न होने वाले भी मंत्र जप के लिए योग्य हैं।
आभीर जमन किरात खस स्वपचादि अति अघरूप जे ।
कहि नाम बारक तेपि पावन होहिं राम नमामि ते ॥ (Ramcharitmanas 7:130)
Translation अहीर, यवन, किरात, खस, श्वपच (चाण्डाल) आदि जो अत्यंत पाप रूप ही हैं, वे भी केवल एक बार जिनका नाम लेकर पवित्र हो जाते हैं, उन श्री रामजी को मैं नमस्कार करता हूँ ॥
किरात- हूणान्ध्र- पुलिन्द-पुक्कश आभीर- कङ्क यवनाः खशादयाः।
येन्ये च पापा यद्-अपाश्रयाश्रयाः शुध्यन्ति तस्मै प्रभविष्णवे नमः।।
(Srimad Bhagavatam 2:4:18)
Translation: किरात, हूण, आन्ध्र, पुलिन्द, पुल्कस, अहीर, कङ्क, यवन और खश तथा अन्य पापीजन भी जिनके आश्रयसे शुद्ध हो जाते हैं, उन भगवान् विष्णु को नमस्कार है ॥
ब्राह्मणादुप्रकन्यायामावृतो नाम जायते ।
आभीरोऽम्बष्ठकन्यायामायोगव्यां तु धिग्वणः ॥ १५ ॥
(Manusmriti 10:15)
Translation: उग्र कन्या (क्षत्रिय से शूद्रा में उत्पन्न कन्या को उग्रा कहते हैं) में ब्राह्मण से उत्पन्न बालक को आवृत, अम्बष्ठ (ब्राह्मण से वैश्य स्त्री से उत्पन्न कन्या) कन्या में ब्राह्मण से उत्पन्न पुत्र अहीर और आयोगवी कन्या (शूद्र से वैश्य स्त्री से उत्पन्न कन्या) से उत्पन्न पुत्र को धिग्वण कहते हैं।
अन्त्यजा अपि नो कर्म यत्कुर्वन्ति विगर्हितम् आभीरा ।
स्तच्च कुर्वति तत्किमेतत्त्वया कृतम् ॥ ३९ ॥
(Skanda Purana: Nagarkhand: Adhyaya 192 Sloka 39)
Translation: अन्यज जाति के लोग भी जो घृणित कर्म नहीं करते अहीर जाति के लोग वह कर्म करते हैं।
आभीरैर्दस्युभिः सार्धं संगोऽभूदग्निशर्मणः ।
आगच्छति पथा तेन यस्तं हंति स पापकृत् ॥ ७ ॥
(Skanda Puran: Khanda 5:Avanti Kshetra Mahatmyam : Adhyay 24: Sloka 7)
Translation : उस जंगल में अहीर जाति के कुछ लुटेरे रहते थे। उन्हीं के साथ अग्निशर्मण की संगति हो गयी। उसके बाद बन के मार्ग में आने वाले लोकों को वह पापी मारने लगा।
उग्रदर्शनकर्माणो बहवस्तत्र दस्यवः ।
आभीरप्रमुखाः पापाः पिबन्ति सलिलं मम ॥ ३३ ॥
तैर्न तत्स्पर्शनं पापं सहेयं पापकर्मभिः ।
अमोघः क्रियतां राम अयं तत्र शरोत्तमः ॥ ३४ ॥
तस्य तद् वचनं श्रुत्वा सागरस्य महात्मनः ।
मुमोच तं शरं दीप्तं परं सागरदर्शनात् ॥ ३५ ॥
(Valmiki Ramayan -Yudhkand: Sarg22: Shlok 33-35)
Translation : वहाँ अहीर आदि जातियों के बहुत-से मनुष्य निवास करते हैं, जिनके रूप और कर्म बड़े ही भयानक हैं। वे सब-के-सब पापी और लुटेरे हैं। वे लोग मेरा जल पीते हैं ॥ ३३ ॥ उन पापाचारियों का स्पर्श मुझे प्राप्त होता रहता है, इस पाप को मैं नहीं सह सकता। श्रीराम ! आप अपने इस उत्तम बाण को वहीं सफल कीजिये ॥ ३४ ॥ महामना समुद्र का यह वचन सुनकर सागर के दिखाये अनुसार उसी देश में श्रीरामचन्द्रजी ने वह अत्यन्त प्रज्वलित बाण छोड़ दिया ॥ ३५ ॥
शूद्राभीरगणाश्चैव ये चाश्रित्य सरस्वतीम्।
वर्तयन्ति च ये मत्स्यैर्ये च पर्वतवासिनः।। १०।।
(Mahabharata -Sabhaparva:Adhyay 35:Shlok 10)
Translation : सरस्वती नदी के तट पर रहने वाले शूद्र अहीर गण थे। मत्यस्यगण के पास रहने वाले और पर्वतवासी इन सबको नकुल ने वश में कर लिया ।
यादव महिलाओं के साथ अहीरों ने किया बलात्कार
ततस्ते पापकर्माणो लोभोपहतचेतसः
आभीरा मंत्रयामासः समेत्याशुभदर्शन का "
प्रेक्षतस्तवेव पार्थस्य वृषणयन्धकवरस्त्रीय
मुरादाय ते मल्लेछा समन्ताजज्नमेय् ।
(Mahabharata: Mausalparva: Adhyay 7 Shlok -47,63)
Translation: लोभ से उनकी विवेक शक्ति नष्ठ हो गयी, उन अशुभदर्शी पापाचारी अहीरो ने परस्पर मिलकर हमले की सलाह की। अर्जुन देखता ही रह गया, वह म्लेच्छ डाकू (अहीर) सब ओर से यदुवंशी - वृष्णिवंश और अन्धकवंश कि सुंदर स्त्रियों पर टूट पड़े।