ग्वालवंश यदुवंशियों की एक मुख्य साखा है |
गवालवंश के तीन सबसे महानतम राजवाड़े हैं |
एक नेपाल में दूसरा गुप्त साम्राज्य |
कोई कोई इन बातों को नही मानेगा लेकिन डीप स्टडी के बाद वह समझ जाएगा |
वैसे अभी मैं सिर्फ एक बात को केंद्र बनाकर आपको सच से अवगत करा दूँ |
गवालवंश साखा में गोत्र क्यों नही हैं ?
इसके लिए आपको भागवत पुराण पढ़ने की जरूरत होगी |
लेकिन मैं यहाँ आपको उस स्टोरी से अवगत करा दूँ जो विश्वविख्यात है
एक बार ब्रम्हा जी ने कृष्ण को भगवान् अर्थात सुप्रीम गॉड न मानने की गलती करी , और उनकी परीक्षा लेने की सोची और कृष्ण जब खेल रहे थे वृंदावन में तब ब्रम्हा ने उनके सभी ग्वाल बालों जो की देवताओं के रूप थे उन्हें वहां से ब्रम्हा लोक ले गए |
ब्रम्हा के इस काम के कारण कृष्ण ने खुद को ही सभी ग्वाल में रूप धारण किया , और ऐसा दिखाया जैसे कुछ हुवा ही नही |
कुछ समय बीत जाने पर ब्रम्हा ने सोचा जरा देखू क्या कर रहा है वो बालक तब उसने देखा की जो ग्वाल वृन्दावन में हैं वही ब्रम्ह लोक में भी |
ब्रम्हा ने बहुत सोचा फिर अपनी गलती का अहसास हुवा ।
और वो कृष्ण भगवान् के कमल चरणों में आ गिरे , भगवान् ने कहा तुम्हारे जैसे लाखों ब्रम्ह हैं इस ब्रम्हांड में तुम ऐसी गलती करोगे ये उचित नही |
आपके इस कार्य की वजह से जो ग्वाल यदुवंशियों को आप ले गए मुझे उनके रूप में ही वह सब किया जो वो होते तो करते अर्थात आप के समय और पृथवी के समय में जो अंतर है वो युगों का है |
अब तो उन ग्वाल यदुवंशियों की सादी भी हो गयी है |
अब आपकी माफ़ी से क्या होगा आपको ऐसी गलती नही करनी चाहिए थी |
तब ब्रम्हा जी आशीर्वाद देते हुवे कहा कि इन ग्वाल बालों को मैं लेके आया था आपने उनके रूप धारण किये और उनके जीवन को जिया यदुवंश में यही ग्वाल सबसे ज्यादा संगठित रहेंगे |
क्योंकि ये ग्वाल भले ही यदुवंश के अन्य अन्य वंश के थे लेकिन अब ये सीधे तौर पे आप हैं और इनके पुत्र आपके अंश हैं |
यही कारण है कि ग्वालवंशियों में गोत्र नही हैं क्योंकि उनके पिता एक हैं कृष्ण।
जब अर्जुन यदुवंशियों को द्वारिका से मथुरा ला रहे थे तब उन ग्वाल की संख्या बहुत कम थी ,और उनका गोत्र गोकुला रखा गया |
अर्थात जो भी गोकुल में निवास करतें हैं उनका गोत्र गोकुला होगा|
ये धीरे धीरे भ्रम फैलाया गया कि वो भगवान के वंसज नही उन गोपियों के वंसज हैं और ग्वाल देवताओं के लेकिन नही उनसब के ही पिता कृष्ण थे |
इस भ्रम में डाल कर यदुवंशियों को ब्राह्मणों ने कृष्ण के देहत्याग के बाद उनकी सोच को छोटा करने की कोशिस करते रहे |
और गोकुल के निवासी होने के कारण ये कृष्ण की उसी मोहनी रूप को अपने इर्द गिर्द देखते और उनकी भक्ति में लीन रहते थे |
ऐसा 1000 साल तक रहा लेकिन जब बाहरी ताकतें इस आर्यवर्त की धरती गोकुल तक पहुच गयी तब बहुत बड़ी मात्रा में उन्हें माइग्रेट करना पड़ा |
आज ग्वालवंशी यादव उत्तरप्रदेश में -आजमगढ़ ,प्रतापगढ़ , बनारस ,भदोही, जौनपुर गोरखपुर , मिर्ज़ापुर में हैं |
बिहार में- गोपालगंज , बंका , दरभंगा ,शिवान ,सासाबाद ,सासाराम ,गया ,रोहतास ,पलमउ , हजारीबाग , छपरा, मधुनि , मुंगेर ।
गवालवंशी यदुवंशियों में राजनीती का गुण और सबको अपना बना लेने का गुण पाया जाता है |
इनकी शारीरिक बनावट यदुवंश का होने के कारण आर्यों की भांति ही है |
पहलवानी इनका सौक होता है ये अपने लिए तो ज्यादा कुछ नही करते परंतु दूसरों के लिए मर मिट जाते हैं ।
बचऊ वीर इसका उदाहरण हैं |
इनकी सर्वमान्य उपाधि सरदार है |
आज उत्तर प्रदेश और बिहार में इनका ठिकाना है और
मुलायम सिंह यादव जी कमरिया है जो ग्वालवंश के तीन डिवीज़न में से एक है |
और लालू प्रसाद यादव दूसरा उदाहरण हैं गवालवंशियों की बुद्धि का लोहा नामुमकिन है |
कूटनीतिज्ञ होने का आशीर्वाद ब्रम्हा से ही मिला है |
जय ग्वाल जय गोपाल
Pehle to chutiye galat jankari tu sbko de raha he..bhosdiek vansh me bete pote hote he as paros ke logo ko vansh me nahi jora jata gandu....krihsn ka vansh me krishn ka bap vansudev or vasudev ke pita honge or krihsn ke bete pote....na ki vasudev ke kisi bhai ya chachere bhai se krihsn ka vansaj mana jata he...randi ke gwar pehle jakar vansh kya hota he pata kar le...abi gwar he tu deeply bhi padega to vans me bete pote parpote hote he or purwaj me dada pardada lakardada hote he...
ReplyDeleteVansaho me bap ka chachera bhai dada ka chachera bhai nahi ata...sbka alag alag apna vans hota he..smjha gandu...pehle kisi ache school me jakar fir se padhayi kar le...gwar he kam buddhi ka khulega dimag
Donot put such nonsense comment. To prove yourself you had to put alter view here.
Deletebahut hi achha jankari diya
ReplyDeletebhai thanks a lot jo apko
itna jankari hai
nahi to hame itna pata hi nahi tha
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ReplyDeleteनन्दबाबा की तो कोई संतान ही नही थी।तो फिर यह अहीर वंश कैसा चला आगे।
ReplyDeleteKrishna jee ke direct vanshaj krishnaut bhi hai jo bihar mein bahutayat sankhya mein paye jate hai
ReplyDeletekrishnanaut ka arth hai krishna dwara uttapanna...