यदुकुल का सर्वण मात्र ही सभी पापों से मुक्त करने वाला है ।
#भगवत_गीता से उद्धरित।
वेद और पुराणों के हिसाब से
पहले तल पर #वैदिक_क्षत्रिय अर्थात #यदुवंश |
#ब्राह्मणों को दूसरे तल पे रखा गया
तीसरे तल पर #क्षत्रिय
चौथे तल पर #वैस्य
पांचवे ताल पर #सूद्र
छठवें ताल पर #अछूत
#इनके कामों से नही इनके जन्म से यह निर्धारित है।
कोई अछूत क्षत्रिय तो हो सकता है लेकिन वैदिक नही उसी तरह कोई ब्राह्मण अस्त्र धारण करे तब भी वह वैदिक क्षत्रिय नही हो सकता । अर्थात ब्राह्मण से लेके अछूत तक सिर्फ यदुवंन्श को ही लक्ष्य बनाकर उसको #खत्म करना चाहेंगे ।
इन सब की वर्ण कर्मों से बदल जाएगी कोई अछूत से ब्राह्मण बन जाएगा कोई ब्राह्मण अछूत ,लेकिन वैदिक क्षत्रियों का वर्ण नही बदलता ।
यदुवंश को खुद को वैदिक क्षत्रिय कहने के ऊपर सिद्ध है कि वह वेदों में वर्णित कुलों का अंश है , और यह बात #गीता में जोर देते हुवे परमब्रम्ह ने कह दिया है । शक्ति के साथ पवित्र होने की वजह से यह सबसे उच्चतम कुल है मनुष्य का । देवरूप धरती में धारण करे हुवे देवता हैं #यदुकुल के सभी जन ।
जय #जगन्नाथ जय यदुवन्श
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