उत्तर प्रदेश की शान रेबाई स्टेट की महारानी ठकुरानी लरई दुलया यादव:-
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लड़कियाँ भी राज-पाठ संभाल सकती हैं, लड़कियाँ भी युद्ध लड़ सकती हैं।
आज बात करेंगे उस महान विरांगना की जिसने औरत होते हुए भी शमशीर हाथों में ले अपने परिवार और रियासत को एक सिंहनी की भांति बचाए रखा।
उत्तर प्रदेश की जब बड़ी विरांगनाओं का नाम आता है तो उनमें से एक हैं बुंदेलखंड की यदुवंशी अहीरानी ठकुरानी लरई दुलया यादव।
रेबाई रियासत की स्थापना 1802 में 'दाउ' गोत्र के यदुवंशी अहीर राजा ठाकुर लक्ष्मण सिंह यादव ने की थी।
ठाकुर लक्ष्मण सिंह यादव बुंदेलखंड के बड़े ज़मींदार राजपरिवार से थे।
1802 में बांदा के नवाब को हरा महाराजासा ठाकुर लक्ष्मण सिंह ने रेबाई स्टेट की स्थापना करी थी।
हालांकि 1808 में खराब स्वास्थ्य के कारण महाराजा सा का स्वर्गवास हो गया।
1808 में राजपरिवार के उत्तराधिकारी कुँवर जगत सिंह यदुवंशी ने राजगद्दी संभाली और 31 वर्षों तक राज किया।
1839 में रेबाई स्टेट के महाराजा सा कुँवर जगत सिंह यदुवंशी की मृत्यु के बाद रेबाई रियासत खतरे में पड़ गई थी।
दूसरी रियासत वाले रेबाई रियासत पर आक्रमण कर हथियाने की लालसा पाल रहे थे।
इस मुसीबत के वक्त राजा कुँवर जगत सिंह की पत्नी Her Highness ठकुरानी दुलया यादव ने शमशीर हाथों में ले रियासत की कमान अपने हाथों में ली और अखंड होंसले के साथ राजगद्दी पर बैठ रियासत और अपने परिवार की ना सिर्फ रक्षा की बल्कि उत्तर प्रदेश की सबसे महान महिला शासकों में से एक कहलाईं ।
महारानी ठकुरानी दुलया यादव ने रेबाई रियासत पर 12 वर्षों तक राज किया इसके बाद जब 1851 में कुल के उत्तराधिकारी बड़े हुए तब ठकुरानी दुलया यादव ने अपने बड़े बेटे जो उत्तराधिकारी थे उनका राज्यभिषेक किया।
ठकुरानी दुलया यादव की हिम्मत और दिलेरी ने ही उनके परिवार और रियासत की रक्षा करी।
रानी सा ठकुरानी दुलया यादव के ही कारण उनकी रेबाई रियासत भारत की आज़ादी 1947 तक कायम रही।
*****रेबाई रियासत की Her Highness ठकुरानी दुलया यादव को ब्रिटिश काल में 10 घुड़सवार, 51 पैदल सैनिक व 1 तोप का सम्मान प्राप्त था।*****
रेबाई रियासत का राजपरिवार आज भी यहाँ स्थित अपने पुश्तैनी भव्य हवेलियों में निवास करता है।
॥ पराक्रमो विजयते॥
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