हिन्दु धर्म की धर्मांधतापूर्ण नीति के चलते मेवों को हिन्दु ना अपनाने के कारण हमारी नाक के नीचे मुस्लिम धर्म की ओर अग्रसर होता मेवात धर्मांधता की चादर ओढ़े हिन्दुवाद की देन है ! जो धर्मांधता में बंधकर खड़ा तमाशा देख रहा है ! मैंने मेवात के इतिहास को काफी खंगाला है मुझे जो तथ्य यहा के मिले वो मैं यहा आप सब के साथ साझा कर रहा हूँ ! मेवात में मेवों के पूर्वज मूल रूप से हिन्दु रहे है ! मेवों में 12 पाल है 6 पाल यादवों की है 6 पालों में मीणा, गुज्जर, जाट आदि है इसे जानने के लिए यह जरूरी है कि जब 14वी शताब्दी के मध्य तुहिन गढ़ राज्य के वंशज यादव राजा सांभर पाल मौजूदा मेवात में राज करते थे ! फिरोजशाह तुगलक 1351ई० में बादशाह बना तो उसने अपने विजय अभियान को जब मौजूदा मेवात की तरफ किया तो सांभर पाल व उनके पुत्रों तथा इनकी सेना ने घोर युद्ध करके फिरोजशाही सेना के हजारों सिपाहियों को साहबी के ठण्ड़े रेत में दफन कर दिया आज भी उनकी कबरें कोट कासिम के आस-पास दूर-दूर तक बिखरी पड़ी है लेकिन इस युद्ध में सांभर पाल के दो पुत्र घायल होने से पकड़े गए शाही सेना कई दिनों तक अपने साथियों की सड़ी लाशों क
इस जगह आपको सत्य मिलेगा| जो भी जानकारी दी जाएगी वह प्रमाणित और वेदों के आधार पर होगी | वेद में ऋग्वेद और पुराणो में चौदह पुराण में सिर्फ यदुवंश के का ही गौरव है उसका कारण है यदु का पृथक होना और फिर इस वंश में परमेश्वर का जन्म | आप हमारी पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और आपको अगर किसी टोपिक पर कुछ कहना है तो कमेंट करें| यदुवंश सौर्यगाथा की सभी जानकारी के लिये Subscribe करें _____वैदिक क्षत्रिय और यदुवंश इतिहास____